- प्रदेश के हस्तशिल्पियों के जीवन स्तर व उनकी आर्थिक स्थिति में गुणात्मक सुधार लाने एवं परम्परागत कलाओं को प्रोत्साहान प्रदान करने के उद्देश्य से योजना प्रारम्भ की गयी |
- योजनान्तर्गत चयनित हस्तशिल्पी को रू0 500/-प्रतिमाह पेंशन दी जाती है।पात्र हस्तशिल्पियों की न्यूनतम आयु 60 वर्ष या इससे अधिक हो
- महिला हस्तशिल्पियों एवं शारीरिक रूप से विकलांग हस्तशिल्पियों को न्यूनतम आयु सीमा में 05 वर्ष की छूट अनुमन्य है।
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सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम तथा निर्यात प्रोत्साहन विभाग की कार्यकारी संस्था उद्योग एवं उद्यम प्रोत्साहन निदेशालय है जो उत्तर प्रदेश के सर्वांगीण औद्योगिक विकास के लिए सरकारी नीतियों का कार्यान्वयन करती है| उद्योग एवं उद्यम प्रोत्साहन निदेशालय प्रदेश के औद्योगिक उत्पादन और निवेश के लिए एक अनुकूल वातावरण प्रदान करने की दिशा में निरंतर प्रयासरत है ताकि राज्य औद्योगिक विकास के दृष्टिकोण से सर्वोच्च स्थान पर आ सके।
उद्योग एवं उद्यम प्रोत्साहन निदेशालय का मुख्य लक्ष्य केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार के कार्यक्रमों एवं योजनाओं को क्रियान्वित करते हुए औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना एवं रोजगार का सृजन करना है।
नई ऑन-लाइन योजनाएं
1. मुख्यमंत्री हस्तशिल्प पेंशन योजना
2. विशिष्ट हस्तशिल्प पेंशन योजना
- शिल्पियों की बहुलता एवं उनके कला कौशल ने प्रदेश की शिल्पकला एवं कलाकृतियों को अन्तर्राष्ट्रीय पहचान दिलायी है, परन्तु शिल्पकारों की शारीरिक क्षमता अन्य क्षेत्रों के सापेक्ष समय से पहले ही कम हो जाती है। गिरते स्वास्थ्य एवं बढती आयु के कारण शारीरिक रूप से शिथिल हो जाते हैं।फलतः उनकी आय जनन क्षमता भी घट जाती है। अतः उनके अनुत्पादक शेष जीवनकाल में राज्य सरकार से आर्थिक सहयोग आवश्यक है।इसी उद्देश्य से शिल्पकारों के लिए यह योजना संचालित की गयी है।
- योजनान्तर्गत भारत सरकार के शिल्पगुरू के रूप में चयनित अथवा राज्य हस्तशिल्प पुरस्कार/दक्षता हस्तशिल्प पुरस्कार अथवा राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार प्राप्त हस्तशिल्पियों को रू0 2000/-प्रतिमाह पेंशन दी जाती है, इस हेतु शिल्पकार की न्यूनतम आयु 50 वर्ष तथा अधिकतम आयु का कोई प्रतिबन्ध नहीं है।
2. 4. हस्तशिल्प विपणन प्रोत्साहन योजना
- उ0प्र0 में विभिन्न हस्तशिल्प जैसे-कालीन, चूडी, ताला, जरी जरदोजी, हैण्डलूम, चिकनकारीगरी, स्टोन कार्विंग, वुड कार्विंग, ब्लैक पाटरी, बेंतवास, लकडी के खिलौने, टेराकोटा, पीतल की कला, जूट वाल हैंगिंग आदि क्षेत्रों में हस्तशिल्पी अपना अमूल्य सहयोग प्रदान कर रहे हैं। इसके इतर अधिकांशत: हस्तशिल्पी हुनरमन्द होते हुए भी अत्यन्त गरीब है।
- प्रदेश के हस्तशिल्पियों को अपने उत्पादों के विपणन हेतु विभिन्न मेलों में भाग लिये जाने के क्रम में परिवहन व्यय एवं स्टाल के किराये में हुए व्यय की प्रतिपूर्ति हेतु रू0 10000/-प्रति मेले की दर से अधिकतम 02 मेले हेतु रू0 20,000/- की धनराशि राज्य सहायता के रूप में प्रदान की जाती है।
4. उत्तर प्रदेश सूक्ष्म, लघु एवं तकनीकी उन्नयन योजना
- महत्तम ढंग से उच्चीकृत तकनीक को विभिन्न क्षेत्रों जैसे- उत्पाद गुणवत्ता सुधार, पर्यावरण सुधार, ऊर्जा दक्षता, गुणात्मक पैकेजिंग परीक्षण सुविधाएं एवं कम्प्यूटरीकृत गुणवत्ता नियंत्रण को बढ़ावा प्रदान करने हेतु सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है |
- उन्नत प्लांट एवं मशीनरी इनस्टॉल करने पर इकाई को 50% अथवा 05 लाख की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है |
- मशीनों के क्रय हेतु लिए गये ऋण पर ब्याज का 50 प्रतिशत ब्याज उपादान के रूप में दिया जा सकेगा जिसकी अधिकतम सीमा रू0 1.00 लाख प्रतिवर्ष होगी। यह सुविधा अधिकतम 05 वर्ष तक दी जायेगीं।
- मानक,प्रकिया,अनुरूपता एवं अन्य प्रमाणीकरण सहायता।
- उद्यम स्रोत योजना(ई0आर0.पी0) व्यवस्था सहायता।
- कन्सल्टेंसी/ब्रांण्डिंग सहायता।
- बौद्धिक सम्पदा प्रमाणीकरण सहायता।
5. औद्यौगिक इकाईयों हेतु स्टैम्प शुल्क में छूट की व्यवस्था
- बुंदेलखण्ड एवं पूर्वांचल के जिलों में 100 % छूट की व्यवस्था।
- पश्चिमांचल एवं मध्यांचल के जिलों में 75% छूट की व्यवस्था।
- गौतमबुद्ध नगर एवं गाजियाबाद में 50% छूट की व्यवस्था।
- स्टैम्प शुल्क की धनराशि के बराबर बैंक गारण्टी जमा कर छूट प्राप्त की जाती है तथा उत्पादन में आने के उपरांत बैंक गारण्टी अवमुक्त कर दी जाती है।
6. उ.प्र. सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम(स्थापना एवं संचालन सरलीकरण) अधिनियम-2020 के अतंर्गत 72 घण्टे में अभिस्वीकृति का निर्गमन
- प्रदेश में उद्यम स्थपाना हेतु अब 72 घंटे की अवधि में अभिस्वीकृति प्रदान की जा रही है |
- अभिस्वीकृति प्राप्त होने के 1000 दिनों तक इकाई को निरिक्षण से अवमुक्त किया गया है |
पूर्व से चल रही ऑन-लाइन योजनाएं
मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना
प्रदेश के शिक्षित युवा बेरोजगारो को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना संचालित है। योजनान्तर्गत उद्योग स्थापना हेतु रु० 25.00 लाख तक एवं सेवा क्षेत्र हेतु रु० 10.00 लाख तक का ऋण बैंको के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता है। राज्य सरकार द्वारा 25 प्रतिशत मार्जिन मनी उपलब्ध करायें जाने का भी प्रावधान है जो कि उद्योग क्षेत्र हेतु अधिकतम रु० 6.25 लाख तथा सेवा क्षेत्र हेतु अधिकतम रु० 2.50 लाख है। इस हेतु अभ्यर्थी को उ0प्र0 का मूल निवासी एवं हाई स्कूल उत्तीर्ण होना अनिवार्य है। अभ्यर्थी की आयु 18 से 40 वर्ष के मध्य होनी चाहिए तथा वह किसी भी वित्तीय संस्थान से चूककर्ता(डिफाल्टर) नहीं होना चाहिए। योजनान्तर्गत स्क्रूटिनी उपरान्त चयनित अभ्यर्थियों के आवेदन पत्रों को बैंक प्रेषित कर ऋण स्वीकृत एवं वितरित कराया जाता है।
एक जनपद एक उत्पाद(ओ.डी.ओ.पी) वित्त पोषण हेतु सहायता योजना
योजना का उद्देश्य एक जनपद एक उत्पाद(ओ.डी.ओ.पी) के अन्तर्गत चयनित उत्पादों के समग्र विकास के लिए वित्तीय प्रोत्साहन के माध्यम से कारीगरों / श्रमिकों / उद्यमियों को लाभान्वित करना है | योजनान्तर्गत उद्योग, सेवा एवं व्यवसाय क्षेत्र में वित्त पोषण में सहायता की सुविधा संबन्धित जनपद हेतु चिन्हित ओ.डी.ओ.पी उत्पाद की परियोजना/ इकाइयों को ही प्राप्त होगी।
- 1)योजनान्तर्गत रु० 25.00 लाख तक की कुल परियोजना लागत की इकाइयों हेतु परियोजना लागत का 25 प्रतिशत या अधिकतम रू 6.25 लाख, जो भी कम हो ,मार्जिन मनी के रूप में देय होगी ।
- 2) रु० 25लाख से अधिक एवं 50.00 लाख तक की कुल परियोजना लागत की इकाइयों हेतु धनराशि रू 6.25 लाख अथवा परियोजना लागत का 20 प्रतिशत, जो भी अधिक हो ,मार्जिन मनी के रूप में देय होगी ।
- 3) रु० 50 लाख से अधिक एवं रु० 150.00 लाख तक की कुल परियोजना लागत की इकाइयों हेतु धनराशि रू 10 लाख अथवा परियोजना लागत का 10 प्रतिशत, जो भी अधिक हो ,मार्जिन मनी के रूप में देय होगी ।
- 4) रु० 150.00 लाख से अधिक की कुल परियोजना लागत की इकाइयों हेतु परियोजना लागत का 10 प्रतिशत या अधिकतम रू 20 लाख, जो भी कम हो ,मार्जिन मनी के रूप में देय होगी ।
आवेदक की आयु कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए। शैक्षिक योग्यता की कोई बाध्यता नहीं है। आवेदक या इकाई किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक/वित्तीय संस्था/ सरकारी संस्था इत्यादि का चूककर्ता नहीं होना चाहिए। योजनान्तर्गत चयनित अभ्यर्थियों के आवेदन पत्रों को बैंक प्रेषित कर ऋण स्वीकृत एवं वितरित कराया जाता है। ।
एक जनपद एक उत्पाद प्रशिक्षण एवं टूलकिट योजना
एक जनपद एक उत्पाद कार्यक्रम के अंतर्गत जनपद विशेष हेतु चिन्हित उत्पाद से सम्बन्धित सामान्य तकनीकी प्रशिक्षण, क्राफ्ट की बेसिक एवं एडवांस्ड ट्रेनिंग एवं उद्यमिता विकास प्रशिक्षण ,विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से प्रदान कराने हेतु तथा ओ.डी.ओ.पी उत्पादों की संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में कुशल कार्यबल की वर्तमान और भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने के उद्देश्य से एक जनपद एक उत्पाद प्रशिक्षण एवं टूलकिट वितरण योजना संचालित है | इसके अतिरिक्त, प्रशिक्षण उपरांत योजना के अंतर्गत कारीगरों / श्रमिकों को प्रासंगिक उन्नत टूल-किट का वितरण किया जायेगा।
1-प्रशिक्षण
- (1)-योजनान्तर्गत चयनित व्यक्तियों को कुल 10 दिनों का कौशल एवं उद्यमिता विकास का प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा |
- (2)-प्रशिक्षण कार्यक्रम निशुल्क एवं अनावासीय होगा |
- (3)-प्रशिक्षार्थी को प्रतिदिन रु. 200/- मानदेय के रूप में दिया जाएगा |
- (1)- आवेदन करने की तिथि को प्रशिक्षार्थी की आयु न्यूनतम 18 वर्ष होनी चाहिए ।
- (2)- प्रशिक्षार्थी को उत्तर प्रदेश का मूल निवासी होना चाहिए |
- (3)- शैक्षिक योग्यता की कोई बाध्यता नहीं होगी |
- (4)- आवेदक द्वारा भारत अथवा प्रदेश सरकार की अन्य किसी योजनान्तर्गत उत्पाद से सम्बंधित टूलकिट का लाभ विगत 02 वर्षों में प्राप्त नहीं किया हो |
- (5)- आवेदक अथवा उसके परिवार के किसी सदस्य को योजनान्तर्गत केवल एक बार ही लाभान्वित किया जाएगा | परिवार का आशय पति एवं पत्नी से है।
हस्तशिल्पियों के कौशल विकास की प्रशिक्षण योजना,उ0प्र0
यह प्रशिक्षण भारत सरकार के राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार/राज्य हस्तशिल्प पुरस्कार व दक्षता पुरस्कार प्राप्त शिल्पकारों तथा विकास आयुक्त हस्तशिल्प द्वारा शिल्पगुरू की उपाधि से अलंकृत शिल्पकारों के घरों पर उन्हीं के व्यक्तिगत निर्देशन व संरक्षण में संचालित किया जाता है। हस्तशिल्प क्षेत्र मे परम्परागत विधा से हो रहे कार्य को धीरे धीरे बेहतर तकनीकी से करना एवं इस हेतु उनको कौशल विकास की दर से प्रशिक्षित कराना इस योजना का मुख्य उद्देश्य है|
अनु0 जाति/ जनजाति के व्यक्तियों के प्रशिक्षण की योजना,उ0प्र0
योजनान्तर्गत अनुसूचित जाती / जनजाति युवक/ युवतियो को चयनित कर उनमे स्किल्ड डेवलपमेंट विकसित हेतु स्थानीय स्तर पर उद्यमियों की मॉग के अनुसार व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है| अभ्यर्थियों को एक माह का सैद्धांतिक प्रशिक्षण एवं 03 माह का व्यवहारिक प्रशिक्षण विभिन्न क्षेत्रीय इकाइयो / सेवा केन्द्रो पर दिया जाता है|प्रशिक्षण कार्यक्रम समाप्त हो जाने के पश्चात अभ्यर्थियों को संबन्धित ट्रेड़ों की टूलकिट दी जाती है|
अन्य पिछड़ा वर्ग के व्यक्तियों के प्रशिक्षण की योजना ,उ0प्र0
अन्य पिछड़ा वर्ग के व्यक्तियों में कौशल विकास संवर्धन के माध्यम से उद्यमशीलता बढ़ाने के उद्देश्य से प्रशिक्षण कराया जाएगा। यह प्रशिक्षण जनपद में चार माह की अवधि का होगा, जिसमें कुल 37 प्रशिक्षार्थी लिए जाएंगे।अभ्यर्थियों को एक माह का सैद्धांतिक प्रशिक्षण एवं 03 माह का व्यवहारिक प्रशिक्षण विभिन्न क्षेत्रीय इकाइयो / सेवा केन्द्रो पर दिया जाता है|प्रशिक्षण कार्यक्रम समाप्त हो जाने के पश्चात अभ्यर्थियों को संबन्धित ट्रेड़ों की टूलकिट दी जाती है|
एक जनपद एक उत्पाद - विपणन प्रोत्साहन योजना ,उ0प्र0
राज्य सरकार ने राज्य की सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय अपने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम (एनएसआईसी) के साथ मिलकर सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों को विपणन सहायता योजना के तहत विपणन संबंधी सहायता प्रदान की है|ओडीओपी के तहत घोषित उत्पादों की बिक्री के लिए हस्तशिल्पियों, बुनकरों और कारीगरों को बेहतर मार्केटिंग एवं उचित मूल्य दिलाने के मकसद से 'एक जनपद एक उत्पाद विपणन प्रोत्साहन' योजना शुरू की गई थी। इसके तहत प्रदेश में लगने वाले मेला-प्रदर्शनियों में भाग लेने पर स्टॉल चार्ज का 75 फीसद (अधिकतम 50 हजार रुपये), माल ढुलाई पर आने वाले खर्च का 75 फीसद (अधिकतम 75 सौ रुपये) और एक व्यक्ति के आने-जाने के लिए ट्रेन के थर्ड एसी अथवा एसी बस का किराया देने का प्रावधान है।
विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना,उ0प्र0
योजना का उद्देश्य प्रदेश के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के पारम्परिक कारीगर जैसे बढ़ई, दर्जी, टोकरी बुनकर, नाई, सुनार, लोहार, कुम्हार, हलवाई, मोची, राजमिस्त्री एवं हस्तशिल्पियों के आजीविका के साधनों का सुदृढ़ीकरण करते हुए उनके जीवन स्तर को उन्नत करना है| योजनान्तर्गत आच्छादित पात्र पारंपरिक कारीगरों एवं दस्तकारों को कौशल वृद्धि हेतु 06 दिवसीय निःशुल्क प्रशिक्षण प्रदान किया जायेगा| सफल प्रशिक्षण उपरांत ट्रेड से सम्बंधित ,आधुनिकतम तकनीकी पर आधारित उन्नत किस्म की टूल किट वितरित की जाएगी|आवेदक उत्तर प्रदेश का मूल निवासी होना चाहिए| आवेदक की न्यूनतम आयु 18 वर्ष होनी चाहिए|आवेदक को पारम्परिक कारीगरी जैसे बढ़ई, दर्जी, टोकरी बुनकर, नाई, सुनार, लोहार, कुम्हार, हलवाई, मोची अथवा दस्तकारी व्यवसाय से जुड़ा होना चाहिए|योजनान्तर्गत पात्रता हेतु जाति एक मात्र आधार नहीं होगा। योजनान्तर्गत लाभ प्राप्त करने हेतु ऐसे व्यक्ति भी पात्र होंगे जो परम्परागत कारीगरी करने वाली जाति से भिन्न हों। ऐसे आवेदकों को परम्परागत कारीगरी से जुड़े होने के प्रमाण के रूप में ग्राम प्रधान, अध्यक्ष नगर पंचायत अथवा नगर पालिका/नगर निगम के सम्बन्धित वार्ड के सदस्य द्वारा निर्गत किया गया प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा |परिवार का केवल एक सदस्य ही योजनान्तर्गत हेतु पात्र होगा। परिवार का आशय पति अथवा पत्नी से है।